-: आशीष अग्रवाल कवर्धा :-
कवर्धा – कबीरधाम जिला वन क्षेत्रों से लगा हुआ है, जिसमें रेंगाखार, झलमला, कुकदूर, चिल्फी, रानीदहरा ,सरोदा दादर ,भेलकी, तरेगांव, बोक्करखार, सहसपुर लोहारा, कोदवा सहित अनेक ऐसे वनक्षेत्र है, जहां बैगा आदिवासी महुआ बीनने के लिए जाते है, इन दिनों महुआ की खुशबू से पूरा वातावरण महक उठा है,वनांचलवासी वनों से मिलने वाले इन वनस्पतियों पर ही ज्यादातर आधारित रहते हैं,वही राज्य सरकार तथा वन मंत्री की पहल से लघु वनोपज की खरीददारी भी शुरू हो चुकी है, साथ ही अब वनांचलवासी महुआ एकत्रित कर रहे हैं,महुआ एकत्रित करने के लिए अपने परिजनों के साथ जंगलों की ओर अपना रुख करते हैं सुबह से लेकर देर शाम तक यह महुआ एकत्रित कर 139 ग्राम स्तर स्वयं सहायता समूह और 22 हॉट बाजारो के माध्यम से इसे बिक्री कर राशि प्राप्त कर रहे है,और आर्थिक रूप से मजबूत भी हो रहे हैं ज्यादातर वनांचल क्षेत्रों में इन दिनों 4 से 5 की संख्या में ग्राम के लोग एक साथ महुआ पेड़ के नीचे एकत्रित होकर महुआ बीनने में लगे हैं इसे छत्तीसगढ़ का पीला सोना भी कहा जाता है,इन दिनों अच्छी महुआ की आवक अच्छी खासी बनी हुई है कई बार ऐसा भी होता है कि महुआ बीनने गए लोगों पर भालू के द्वारा हमले कि भी जानकारी मिलती रहती है, बताया जाता है कि भालू को महुआ अत्यधिक प्रिय है,और वहां इसकी खुशबू में खिंचा चला आता है,जिसके चलते वनांचलवासी भी सजग हो चुके हैं, 4 से 5 की संख्या में यह सभी वनों की ओर महुआ बीनने जाते है जिससे अगर कोई वन्य प्राणी भी आये तो उससे बचा जा सके तेज आवाज कर ये भालू को भगा भी देते है।
इन क्षेत्रों में अधिक महुआ का पेड़ –
कांदावानी, रुख्मीदादर, पोलमी, कुकदूर, पुटपूटा, भेलकी, सेंदुरखार, सारपानी ,बिरुलडीह, महिड़बरा, केशमर्दा, बाकी, तरेगाव, बाटीपथरा, बदना, बांगर, कामठी, तेलियापानी लेदरा, तेलियापानी, धोबे, नेउर , दमगढ़, सेमहरा, कडमा, माठपुर, भाकुर, पीपरटोला, देवसरा, कोमो, मुड़घुसरी, ज्यादातर होता है,इन क्षेत्रों में लोग महुआ बीनने के लिए जाते हैं ग्राम ठेंगाटोला के निवासी धरमसिंग मरावी तीरथ राम मरकाम,कडमा संतराम धुर्वे,भेलकी संतराम पनारिया ने बताया कि कि इन दिनों वे सभी महुआ एकत्रित करने लगे हुए हैं। जिसके लिए यह सुबह 6ः00 बजे से जंगलों की ओर अपना रुक करते हैं उन्होंने बताया कि इसे वनांचल का पीला होना भी कहा जाता है और वनों में निवास करने वाले ज्यादातर लोग वनों से मिलने वाले वनोपज पर ही आश्रित रहते है,इसके संग्रहण से जो राशि मिलती है उससे वे अपने परिवार का पालन करते है।
पहले खरीदा जाता था सिर्फ तेंदूपत्ता –
पहले कबीरधाम जिले में वनोपज में जहां तेंदूपत्ता की खरीदी की जाती थी वहीं अब 22 लघु वनोपज की खरीदी(’न्यूनतम समर्थन मूल्य’) भी शासन द्वारा की जाएगी। कवर्धा में महुआ के साथ -साथ ,ईमली, चिरौंजी ,शहद , चरोटा, चिरायता, वनतुलसा, वन जीरा, गोंद प्रमुखता से कवर्धा के जंगलों में मिलता है,इस योजना से जिले के करीब 150 गांवों के लोगों को फायदा होगा। इससे लोगों को रोजगार के साथ ही अतिरिक्त आय के नए अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। वन विभाग द्वारा इस वन धन योजना को जमीनी स्तर पर सफल पूर्वक प्रयास कवर्धा में किया गया है।
केंद्र की दरदृ राज्य शासन द्वारा देय समर्थन (न्यूनतम समर्थन मूल्य’)
(राशि प्रति किलोग्राम रुपए में)
1 इमली (बीज सहित)- 31.00
2 चिरौंजी गुठली-109.00
3 कुल्लू गोंद -98.00- 22.00
4 बहेड़ा-17.00
5 पुवाड़ (चरोटा)-14.00
6 साल बीज -20.00
7 हर्रा-15.00
8 नागरमोथा -27.00
9 बेलगुदा -27.00
10 रंगीनी लाख-130.00- 20.00
11 कुसुमी लाख-203.00- 22.00
12 महुआ बीज- 25.00
13 शहद -195.00
14 कालमेघ -33.00
15 फूलझाड़ू -30.00
16 जामुन बीज -36.00
17 कौंच बीज -18.00
18 धवई फूल- 32.00
19 करंज बीज- 19.00
20 महुआ फूल- 17.00
21 बायबिडिंग- 81.00
22 आंवला सूखा- 45.00
कवर्धा जिला यूनियन अंतर्गत संचालित समिति’
(बॉक्स में ले)
क्र. समिति का नाम समिति अंतर्गत आने वाले हाट बाजार
1 रेंगाखार-रेंगाखार,
2 खारा खारा-उसरवाही
3 जुनवानी-तेलीटोला
4 कोयलारझोरी- कोयलारझोरी, खोलवा,जरहानवागांव
5 कोदवा-भैंसाडबरा
6 कामठी-कामठी
7 पंडरिया-कुई
8 कूकदूर- नेऊर
9 बोड़ला- बोड़ला
10 तरेगांव-तरेगांव, लरबक्की, दलदली,बांकी
11 सिंघारी-बैजलपुर,
12 खडिया-बोक्करखार
13 चिल्फी- चिल्फी, झलमला, समनापुर
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