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राजनीति में प्रियंका गांधी के प्रवेश से सतर्क हुई भाजपा

सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस के दूर रहने और इससे आगामी लोकसभा चुनाव के त्रिकोणीय होने से अब तक खुश भाजपा सक्रिय राजनीति में प्रियंका गांधी के प्रवेश से सतर्क हो गई है। कांग्रेस के प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश की अहम जिम्मेदारी देने के बाद अब पार्टी नई रणनीति बनाने पर मजबूर होगी। पार्टी को आशंका है कि प्रियंका के कारण उसके सामने पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगड़ों को साधे रखने की चुनौती हो सकती है। प्रियंका सक्रिय राजनीति की कसौटी पर अब तक कसी नहीं गई हैं। ऐसे में रणनीतिकारों की अब प्रियंका की अगले कदम पर भी निगाह है।
यूपी चुनाव की रणनीति बनाने से जुड़े एक वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री के मुताबिक यह बड़ा फैसला है। पूर्वी यूपी में बीते लोकसभा चुनाव में करीब-करीब सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा था। अब जमीनी स्तर पर पड़ने वाले असर का आकलन करना होगा। देखना होगा कि यह फैसला सपा-बसपा के लिए कितनी बड़ी चुनौती है। पार्टी को आशंका है कि प्रियंका के जरिए कांग्रेस अगड़ी जातियों के अलावा किसान वर्ग में पैठ बनाना चाहेगी। सक्रिय राजनीति में आते ही प्रियंका के तुलना उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की जाने लगी है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व मोदी सरकार किसानों के लिए कई अहम घोषणा करेगी। सामान्य जाति के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने की भी सकारात्मक प्रतिक्रिया है। ऐसे में कृषि क्षेत्र में राहत की घोषणाओं से पार्टी कांग्रेस की रणनीति को फेल करने की तैयारी में है। पार्टी राहुल की तरह प्रियंका के खिलाफ भी इनके ब्राह्मण न होने का अघोषित अभियान शुरू कर सकती है।

पार्टी ही परिवार
कुछ लोगों के लिए परिवार ही पार्टी है, जबकि भाजपा के लिए पार्टी परिवार है। भाजपा में फैसले इस आधार पर नहीं किए जाते कि एक व्यक्ति या परिवार क्या सोचता है। भाजपा की रगों में लोकतांत्रिक मूल्य दौड़ते हैं।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

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