वन मंत्री अकबर ने निर्देश पर वन और जलवायु परिवर्तन विभाग की संयुक्त टीम कवर्धा पहुंची, कार्यशाला का हुआ आयोजन
कवर्धा l 28 फरवरी 2021। कवर्धा वनमंडल कबीरधाम जिले के भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण में वन्य प्राणियों की वंश वृद्धि को विशेष ध्यान में रखते हुए वन्य प्राणियों को सुरक्षित और अनुकूलित वातावरण देने के लिए वाइल्ड लाइफ कोरिडोर के निर्माण के लिए कार्ययोजना बनाने में जुटा हुआ है। प्रदेश के वनमंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देश पर कवर्धा में शनिवार को राज्य शासन वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वाइल्डलाइफ एंड वी प्रोटेक्शन फाउंडेशन के तत्वाधान में इश्तियाक अहमद पटेल, एग्जीक्यूटिव फील्ड एंड कैपेसिटी बिल्डिंग के माध्यम से एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में एक मॉडल वाइल्डलाइफ कॉरिडोर के लिए- क्या-क्या कार्य वन विभाग के माध्यम से करवाए जा सकते हैं और किन-किन सूक्ष्म बातों का ध्यान रखना चाहिए, वैज्ञानिक तथा तकनीकी दृष्टिकोण से क्या प्रबंधन होने चाहिए, इत्यादि विषयों पर गहन चर्चा की गई। इस प्रशिक्षण में वन मंडल अधिकारी दिलराज प्रभाकर, क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम शशिगानंदन, समस्त उप वन मंडल अधिकारी, परिक्षेत्र अधिकारी, तकनीकी अधिकारी तथा क्षेत्रीय कार्यपालिक कर्मचारी प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
कवर्धा वनमंडल अधिकारी दिलराज प्रभाकर ने बताया कि कबीरधाम वन्य प्राणियों को लेकर अत्यंत ही महत्वपूर्ण जिला है। इसके एक दिशा में यदि अचानकमार टाइगर रिजर्व है तो दूसरी दिशा में कान्हा टाइगर रिजर्व है। महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिजर्व से होते हुए ताडोबा टाइगर रिजर्व, नागजीरा वन्य प्राणी अभ्यारण तथा टाइगर रिजर्व, कान्हा टाइगर रिजर्व और अचानकमार टाइगर रिजर्व से जोड़ने के लिए जिला कबीरधाम का भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण परिक्षेत्र तरेगांव, पश्चिम पंडरिया, पूर्वी पंडरिया, कवर्धा, खारा, रेंगाखार और सहसपुर लोहारा एक वाइल्डलाइफ कोरिडोर का सृजन करते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य ने बाघ, हाथी और बायसन के लिए वाइल्डलाइफ कॉरिडोर चिन्हित किया है। उसमें से जिला कबीरधाम में बायसन और बाघ के लिए वाइल्डलाइफ कोरिडोर का क्षेत्र आता है। वन्य प्राणियों में जनसंख्या बढ़ने, पेयजल का अभाव, घास मैदान का अभाव, प्रे बेस का अभाव, टेरिटरी की फाइट होने पर, मानव- वन्य प्राणी द्वंद में, वन क्षेत्रों का घटना, अवैध कटाई, अतिक्रमण, अवैध उत्खनन, अवैध शिकार, वनों में आग लगने तथा वन क्षेत्रों का गैर वानिकी कार्यों में डायवर्जन होने पर वन्य प्राणी सुरक्षित तथा सुलभ आवास की तलाश में एक आश्रय से दूसरे आश्रय स्थल के लिए निकलते हैं। यह सफर कई बार सैकड़ों किलोमीटर तक भी हो सकता है। इन दो सुरक्षित आवासों के बीच में जो किलोमीटरों का रास्ता वन्य प्राणियों के द्वारा तय किया जाता है, उस रास्ते में उनके लिए पर्याप्त पीने का पानी, भोजन तथा क्षणिक विश्राम के लिए सुरक्षित शरण स्थल की आवश्यकता होती है। वाइल्डलाइफ कॉरिडोर में यह सुविधाएं यदि उपलब्ध रहें तो, वन्य प्राणियों चाहे वह मांसाहारी हो, चाहे वह शाकाहारी हो, उनका सहज विचरण तथा आवागमन हो पाता है