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कबीरधामः विश्व आदिवासी दिवस पर हुए विविध कार्यक्रम

मुख्यमंत्री ने कबीरधाम जिले के 94 समुहों को दिए सामुदायिक वन अधिकार पत्र, आदिवासी समुहों को मिला सामुदायिक वन अधिकार, प्रतिभाशाली छात्र हुए सम्मानित

मुख्यमंत्री बघेल और वनमंत्री अकबर सहित अनेक मंत्रीगण वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से कबीरधाम जिले के कार्यक्रम में जुड़े

कवर्धा – 09 अगस्त 2021। विश्व आदिवासी दिवस पर कबीरधाम जिले में सोमवार को विविध कार्यक्रम का आयोजन किया। कोविड-19 कोरोना वायरस के बचाव के लिए विशेष ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा प्रोटोकॉल के तहत अनेक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल, वनमंत्री मोहम्मद अकबर, आदिवासी विकास मंत्री डॉ प्रेम सिंह टेकाम सहित अनेक वरिष्ठ मंत्री गण भी वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से कबीरधाम जिले के आयोजित कार्यक्रम से जुड़कर विश्व आदिवासी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री बघेल ने कबीरधाम जिले के बैगा एवं आदिवासी बाहुल्य बोडला और पंडरिया विकासखण्ड के 94 सामुदायिक वन अधिकारी पत्र का वितरण किया। इस सामुदायिक वन अधिकार के तहत लघुवन उपज, चराई, निस्तार, देवालय, सार्वजनिक तालाब निर्माण, जलाशय निर्माण, गौठान निर्माण सहित सार्वजनिक उपयोग के लिए सामुदायिक वन पत्र वितरण किया गया। वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने प्रदेश के सभी नागरिकों को विश्वआदिवासी दिवस के लिए बधाई और शुभकामनाएं भी दी। उन्होने ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के खुशहाली और तरक्की के लिए अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं और कार्यक्रम संचाहित किया जा रहा है। विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कबीरधाम जिले के कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा, वनमंडलाअधिकारी दिलराज प्रभाकर, जिला पंचायत अध्यक्ष मुखी राम साहु, आदिमजाति विकास के सहायक आयुक्त आरएस टण्डन सहित बोड़ला एवं पंडरिया विकासखण्ड के 94 सामूहों के सदस्यगण उपस्थित थे। कार्यक्रम में तरेगांव जंगल के एकलब्य आवासीय विद्यालय के कक्षा 12वीं के सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले आदिवासी समाज के दो प्रतिभाशाली सुर्यकांत धुर्वे और जितेन्द्र धुर्वें को उनके सफलता के लिए बधाई दी और उन्हे प्रमाणत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। यहां बताया गया कि सुर्यकांत धुर्वे ने पहली प्रयास में ही जेईई मेंस की परीक्षा पास कर ली है और वह जेई एडवांस की तैयारी कर रहे है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जनजातियों की प्राचीन कला और संस्कृति छत्तीसगढ़ की अनमोल धरोहर है। राज्य सरकार आदिवासियों की प्राचीनतम परंपरा, संस्कृति और जीवन मूल्यों को सहेजते हुए उनके विकास के लिए लगातार प्रयास कर रही है। यहां की करीब 31 प्रतिशत आदिवासी जनता और शेष आबादी के बीच की दूरी को कम करते हुए उन्हें मुख्य धारा से जोड़कर आगे बढ़ाने के लिए नए रास्ते खोले गए हैं।

बघेल ने कहा कि जनजातियों के विकास और हित को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने बीते ढाई साल में कई अहम फैसले लिये हैं। लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन की वापसी, जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा, जिला खनिज न्यास के पैसों से आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार, बस्तर और सरगुजा में कर्मचारी चयन बोर्ड की स्थापना और यहां आदिवासी विकास प्राधिकरणों में स्थानीय अध्यक्ष की नियुक्ति, 52 वनोपजों की समर्थन मूल्य में खरीदी, आदिवासी क्षेत्रों में नई प्रशासनिक इकाईयों का गठन, नई सडकें, हाट बाजारों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने जैसे कई प्रयास आदिवासी समाज की बेहतरी के लिए किए गए हैं। उन्होंने कहा है कि मुझे खुशी है कि हमने तेजी से आदिवासियों के हितों के लिए निर्णय लिए जिससे उनका जीवन अधिक सरल हो सका है। हमने वन अधिकार पट्टों के माध्यम से हजारों आदिवासियों को जमीन का अधिकार देकर उन्हें आवास, और आजीविका की चिंता से मुक्त करने का प्रयास किया है। हमारी कोशिश है कि आदिवासी समुदाय तक सीधे सरकार की विकास योजनाएं पहुंचे और जल, जंगल और जमीन को लेकर उनकी चिंता दूर हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को नया आयाम देने के लिए हमने अनेक कदम उठाए हैं। हमने छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस पर सामान्य अवकाश घोषित किया है। प्रदेश में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर में किया गया। देवगुड़ी और घोटुल के विकास और सौंदर्यीकरण की पहल की जा रही है। इससे सभी लोगों को आदिवासी समाज की परंपरा, संस्कृति और उनके उच्च जीवन मूल्यों को समझने का अवसर मिला है।



 

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