रोजगार सहायक जायेगे हड़ताल पर
छ.ग. सरकार की वादा खिलाफी व बेरुखी से परेशान ग्राम रोज़गार सहायक 30 दिसम्बर से काम बन्द कलम बन्द अनिश्चित कालीन हड़ताल में चले जाएंगे।
पंचायत सचिव संघ भी अनिश्चित कालिन आंदोलन कर रहा है।
अब रोजगार सहायक भी हड़ताल पर जा रहे है जिससे ग्राम पंचायतों में ताला बंदी कि स्थिति निर्मित हो गयी है।
रोजगार सहायकों ने चलाया था संवाद पत्राचार कार्यक्रम
छग ग्राम रोजगार सहायक संघ के आवाहन पर छग के समस्त विधायको,सांसदों,त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को अपनी मांगों के समर्थन हेतु संवाद पत्राचार अभियान चलाकर ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों से अवगत कराया।
बहुत से सांसद विधायको ने बाकायदा अपने लेटरपेड में मांगो का समर्थन में मुख्यमंत्री जी को पत्र भी लिखा।लेकिन नतीजा शून्य रहा।
पंचायत मंत्री जी से वार्ता हुवी फेल
छ.ग. ग्राम रोजगार सहायक संघ का प्रांतीय प्रतिनिधि मण्डल भी पंचायत मंत्री माननीय टी एस सिहदेब से लगातार संपर्क कर अपनी मांगों से अवगत करवाया लेकिन 2 वर्षों से सिर्फ आश्वासन ही दिया।पिछले दिनों संघ के प्रतिनधि मण्डल को रोजगार सहायकों जे मांग के विषय मे पंचायत मंत्री जी ने कोई स्पष्ट आश्वसन और अपेक्षित सहयोग न मिलने से रोजगार सहायकों ने हड़ताल की घोषणा कर दी।
रोजगार सहायकों की प्रमुख मांग
14-15वर्षों से संविदा पर कार्यरत ग्राम रोजगार सहायकों को उनके सेवा के बदले सिर्फ 5000-6000 रुपये मानदेय दिया जाता है।जबकि मनरेगा के समस्त अधिकारी कर्मचारियों को वेतनमान दिया जाता है।
जबकि रोजगार सहायकों द्वारा करवाये गए कार्यों के खर्च से मिलने वाली कन्टेंजेन्सी राशि से ही सभी अमले को वेतन मिलता है।अगर रोजगार सहायक मानव दिवस जनरेट कर खर्च नहि करेंगे तो किसी भी कर्मचारी को वेतन नहि दिया जा सकता।क्योंकि मनरेगा में इस निधि से मिलने वाले 6 प्रतिशत राशि से ही सभी स्तर के कर्मचारियों के लिए वेतन का प्रावधान है।
प्रमुख मांग :-
1.वेतनमान निर्धारण नियमितीकरण।
2.पंचायत सचिव पद पर शत प्रतिशत सीधी भर्ती।रोजगार सहायकों को सहायक सचिव घोषित करने।
3.नगरीय निकाय में सम्मिलित ग्राम पंचायतों के रोजगार सहायकों को उसी निकाय में समायोजित करने
छग है मनरेगा में विभिन्न श्रेणियों में अव्वल
मनरेगा प्रारंभ से लेकर आज दिनांक तक मनरेगा अंतर्गत छग हमेशा किसी न किसी श्रेणी में अव्वल रहता है।फिर चाहे 100 दिन कार्य उपलब्ध करवाना हो,कोरोना काल मे रोजगार उपलब्ध करवाने में ही क्यों न हो।इसमें मैदानी स्तर पर ग्राम रोजगार सहायकों की मेहनत से ही सम्भव होता रहा है।