’’कुपोषण एवं एनीमिया मुक्त कबीरधाम की ओर बढ़ते कदम’’
कवर्धा l 01 अक्टूबर 2020। कबीरधाम जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूवात 2 अक्टूबर 2019 से हुई। योजना अंतर्गत 0 से 5 वर्ष के कुपोषित एवं एनीमिक बच्चों एवं 15 से 49 आयुवर्ग की एनीमिक महिलाओं को कुपोषण एवं एनीमिया से मुक्त करने लक्ष्यित किया गया है। वजन त्यौहार 2019 के आकडों के आधार कुल 14486 बच्चे कम वजन की श्रेणी में है। प्रतिशत के आधार पर 19.56 प्रतिशत बच्चे कुपोषित है। जिले को कुपोषण एवं एनीमिया मुक्त बनाने मुख्यमंत्री के संकल्प अनुसार मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
शासन द्वारा वर्तमान में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, मुख्यमंत्री अमृत योजना, बाल संदर्भ योजना, महतारी जतन योजना, सबला योजना अंतर्गत 0 से 6 वर्ष के बच्चे, गर्भवती माताएं, शिशुवती माताओं, 11 से 14 वर्ष के शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को लाभान्वित किया जा रहा है, जिसमें 3 वर्ष से 06 वर्ष के आंगनबाड़ी केन्द्र आने वाले बच्चों एवं गर्भवती माताओं को आंगनबाड़ी केन्द्रों में आकर्षक थाली में गरम भोजन खिलाया जा रहा है। शिशुवती माताओं, 6 माह से 03 वर्ष के बच्चों एवं 11 से 14 वर्ष की शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को टेक होम राशन के रूप में रेडी टू ईट का प्रदाय किया जा रहा है। जिले में कुपोषण, मातृ-मृत्यु दर, शिशुमृत्यु दर एवं एनीमिया को कम करने वर्तमान में प्रचलित शासकीय योजनाओं के अतिरिक्त अन्य सकारात्मक हस्तक्षेप की आवश्यकता को देखते हुए कलेक्टर ने इस दिशा में 1 से 3 वर्ष के बच्चों व 15 से 49 आयुवर्ग की एनीमिक महिलाओं को भी आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से पौष्टिक आहार गरम पका भोजन दिए जाने की शुरूवात की। इसके लिए जिला खनिज न्यास निधि से 39.91 लाख रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। साथ ही कुपोषण एवं एनीमिया संबंधी जागरूकता हेतु समन्वित प्रयास जैसे स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर आवश्यक दवाईयों का वितरण, साफ-सफाई एवं स्वच्छता के संबंध में जागरूकता, नियमित गृहभेंट एवं खान पान की आदतों में सुधार के संबंध में परामर्श मासिक अनुश्रवण आदि प्रयास किए जाना प्रारंभ किया गया।
इस योजना का अच्छा प्रतिफल प्राप्त हो रहा है एकीकृत बाल विकास सेवा परियोजना चिल्फी सेक्टर चिल्फी अंतर्गत ग्राम चिल्फी आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक 01 चिल्फी में दर्ज सीवियर एनीमिक महिला लक्ष्मी पति रमेश पनेका उम्र 30 वर्ष था, माह फरवरी में लक्ष्मी के शरीर में रक्त में हिमोग्लोबिन 7 ग्राम था, जो कि सीवियर एनीमिक श्रेणी में शामिल थी, महिला को आंगनबाड़ी केन्द्र में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में दर्ज कर योजना की जानकारी दी और आंगनबाड़ी केन्द्र में प्रतिदिन गरम भोजन खाने हेतु बुलाया गया। लक्ष्मी प्रतिदिन आंगनबाड़ी आकर गरम भोजन खाने लगी, खाने में प्रतिदिन रोटी, दाल, चांवल, रसेदार सब्जी, हरी सब्जी, अचार, पापड़ सलाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के व्दारा खिलाया जाने लगा। साथ ही पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा दिवस पर प्रतिमाह नियमित जांच व परामर्श तथा आयरन फोलिक एसिड की गोलियां खाने हेतु दी गई। लॉकडाउन तथा कोरोना संक्रमण काल में भी लक्ष्मी को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत् सूखा राशन का वितरण किया गया व कार्यकर्ता के व्दारा नियमित गृहभेंट की गई। इस प्रकार लक्ष्मी की सेहत में धीरे-धीरे सुधार होने लगा और उसका हिमोग्लोबिन स्तर बढ़ता चला गया। आज की स्थिति में लक्ष्मी के रक्त में हिमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम से अधिक हो गई है, इस प्रकार मुख्यमंत्री सुपोषण योजना लक्ष्मी को एनीमिया मुक्त करने में कारगर साबित हुई ।
विकासखण्ड बोड़ला के सेक्टर मिनमिनीया मैदान में महिलाओं का हिमोग्लोबिन जांच जनवरी 2020 में किया गया। इस दौरान ग्राम मण्डलाटोला की तीन महिलाएं कु. होली झारिया (किषोरी बालिका), पार्वती झारिया, सरोज वर्मा तथा ग्राम खैरबनाखुर्द से श्रीमती प्रियंकेष मानिपुरी का हिमोग्लोबिन 8 ग्राम से कम आया, ये महिलाएं भी सीवियर एनीमिक श्रेणी में थी। इसी प्रकार 3 फरवरी 2020 से चारों महिलाओं को नजदीकी आंगनबाड़ी केन्द्र में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत दर्ज कर योजना की जानकारी दी गयी। सभी सीवियर एनीमिक महिलाओं को आंगनबाड़ी केन्द्र में प्रतिदिन गरम भोजन खाने हेतु बुलाया गया। सभी प्रतिदिन आंगनबाड़ी आकर गरम भोजन खाने लगी, खाने में प्रतिदिन रोटी, दाल, चांवल, रसेदार सब्जी, हरी सब्जी, अचार, पापड़ सलाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के व्दारा खिलाया जाने लगा। साथ ही पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा दिवस पर प्रतिमाह नियमित जांच व परामर्श तथा आयरन फोलिक एसिड की गोलियां खाने हेतु दी गई। लॉकडाउन तथा कोरोना संक्रमण काल में भी लक्ष्मी को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत् सूखा राशन का वितरण किया गया व कार्यकर्ता व पर्यवेक्षक के द्वारा नियमित गृहभेंट की गई। इस प्रकार नियमित अनुश्रवण से महिलाओं के रक्त में हिमोग्लोबिन स्तर बढ़ने लगा।
एनीमिया जैसी बीमारी से बाहर आने का श्रेय इन महिलाओं के द्वारा मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को दिया गया, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षकों की सलाह को अमल करते हुए आज ये सभी पूरी तरह से स्वस्थ व खुद को बेहतर महसूस कर रही है, एनीमिया के कारण थकान व कमजोरी पूर्णतः ठीक हो गया है तथा अब वे अपने परिवार व बच्चों का ध्यान पहले से अधिक अच्छी तरह रख रही है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान इन सबके लिए वरदान साबित हुई है। माह फरवरी 2020 की स्थिति में जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 12824 है, कोविड-19 संक्रमण के चलते बच्चों के वजन की अद्यतन स्थिति उपलब्ध नहीं है। अक्टूबर 2019 से फरवरी 2020 तक कुल 1662 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए थे।