प्रयागराज (इलाहाबाद). तीर्थराज प्रयाग में 49 दिन तक चलने वाले कुंभ की शाही स्नान के साथ आज से शुरुआत हो गई है. सबसे पहले संगम तट पर पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु-संतों ने स्नान कर रहे हैं. इसके बाद श्री पंचायती अटल अखाड़े के संतों ने संगम तट पर डुबकी लगाएंगे. कुंभ मेला 4 मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा. आखिरी शाही स्नान 4 मार्च को होगा और इसी दिन कुंभ मेले का समापन भी हो जाएगा. हर अखाड़े को स्नान के लिए 40 मिनट का समय दिया गया है. यहां करीब डेढ़ करोड़ श्रद्धालु पहुंच चुके हैं.
राजा हर्षवर्धन ने कराया पहला कुंभ
माना जाता है कि कुंभ का आयोजन राजा हर्षवर्धन के राज्यकाल (664 ईसा पूर्व) में आरंभ हुआ था. प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेंगसांग ने अपनी भारत यात्रा का उल्लेख करते हुए कुंभ मेले के आयोजन का उल्लेख किया है.। साथ ही साथ उसने राजा हर्षवर्द्धन की दानवीरता का भी जिक्र किया है. ह्वेंगसांग ने कहा है कि राजा हर्षवर्द्ध हर 5 साल में नदियों के संगम पर एक बड़ा आयोजन करते थे, जिसमें वह अपना पूरा कोष गरीबों और धार्मिक लोगों में दान दे देते थे.
इन संयोग में होता है कुंभ का आयोजन
- बृहस्पति के कुंभ राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर हरिद्वार में गंगा के किनारे पर पर कुंभ का आयोजन होता है.
- बृहस्पति के मेष राशि में प्रविष्ट होने तथा सूर्य और चन्द्र के मकर राशि में होने पर अमावस्या के दिन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम तट पर कुंभ का आयोजन होता है.
- बृहस्पति एवं सूर्य के सिंह राशि में आने पर नासिक में गोदावरी के किनारे पर कुंभ का आयोजन होता है.
- बृहस्पति के सिंह राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर उज्जैन में शिप्रा तट पर कुंभ का आयोजन होता है.