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भारत में मुश्किल है कोरोना से लड़ाई, 48 प्रतिशत लोगों के पास नहीं है साफ पानी

नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामलों की संख्या 15 लाख के पार पहुंच गई है. इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. देश में कोविड-19 (Covid-19) से करीब 34 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, दुनिया में कोरोना की रफ्तार बेकाबू हो रही है. मरीजों का आंकड़ा 1 करोड़ 67 लाख के पार पहुंच गया है. हालांकि भारत के लिए राहत की बात यह है कि यहां पर कोरोना से ठीक होने वाला आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है.

विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा और बढ़ सकता है. अब सवाल उठ रहा है कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ, जिसकी वजह से कोरोना पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है. आइए जानते हैं इसके संभावित कारण…

1. पॉपुलेशन डेंसिटी– आबादी के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है. वैश्विक स्तर पर चीन के बाद भारत की आबादी आती है. आंकड़ों के मुताबिक भारत की आबादी 137 करोड़ से भी ज्यादा है. विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर 1 किमी के दायरे में 455 लोग रहते हैं. जबकि, चीन में ये आंकड़ा 148 और पाकिस्तान में 275 का है. पॉपुलेशन डेंसिटी इस वजह से खतरा है क्योंकि 1 कोरोना संक्रमित एक महीने में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है.

2. परिवार 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 70 प्रतिशत से ज्यादा परिवार ऐसे हैं, जहां 4 से ज्यादा लोग रहते हैं. वहीं, बात अगर एनएसएसओ के सर्वे की जाए तो उसके अनुसार भारत के एक परिवार में 4.3 लोग रहते हैं. वहीं शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 3.9 का है.  यूपी और बिहार जैसे राज्यों में तो यह औसत 5 या उससे भी ज्यादा का है. भारत एक संयुक्त परिवार वाला देश है यहां एक घर में तीन से चार पीढ़ियां साथ में रहती हैं. इसका मतलब ये है कि अगर परिवार में एक व्यक्ति भी संक्रमित होता है तो पूरे परिवार को संक्रमित कर सकता है.

3. पानी की सुविधा कोरोना वायरस से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोना. विश्व स्वास्थ्य संगठन और सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि कोविड-19 से बचाव के लिए कम से कम 20 सेकेंड तक हाथ धोना जरूरी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरोना से बचाव के लिए दिन में 10 बार हाथ धोना जरूरी है. दिन में 20 सेकेंड तक 10 बार हाथ धोने के लिए कम से कम 20 लीटर पानी चाहिए. एक तरफ लोगों को हाथ धोने के लिए पानी चाहिए तो दूसरी तरफ सच्चाई यह है कि भारत में 48 प्रतिशत लोगों के पास पीने के लिए साफ पानी नहीं है. जिन लोगों के पास पीने का पानी नहीं है वो हाथ धोने के लिए पानी कहां से लगाएंगे ये बड़ा सवाल है?

नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी एनएसएसओ के 2018 में हुए सर्वे में सामने आया था कि देशभर में 51.7 प्रतिशत परिवारों तक ही पीने के पानी की सीधी पहुंच है. यानी बाकी 48.3 प्रतिशत लोगों को ट्यूबवेल, हैंडपंप, कुएं, वॉटर टैंकर के भरोसे पानी मिल रहा है.

4. शौचालय/टॉयलेट प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत देशभर में टॉयलेट निर्माण की मुहिम चलाई गई. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारत में सिर्फ पानी की कमी नहीं है बल्कि टॉयलेट की भी कमी है. एनएसएसओ के सर्वे में यह बात सामने आई है कि 21वीं सदी में भारत के 20.2 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जिनके पास टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. यानी साफ है देश की आबादी का 1/5 हिस्सा आज भी खुले में ही शौच करने के लिए मजबूर है. खुले में टॉयलेट जाना भी कोरोना वायरस के खतरे को बढ़ा सकता है. पिछले दिनों एक रिसर्च में यह बात सामने आई थी कि कोरोना वायरस शौच के जरिए हवा में भी फैल सकता है.

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