कलेक्टर ने स्वास्थ्य, शिक्षा, आदिम जाति, नगरीय निकाय अधिकारियों की संयुक्त बैठक लेकर दिए आवश्यक दिशा निर्देश
कवर्धा | 27 जुलाई 2020। कोविड-19 कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियत्रंण कार्यक्रम के तहत मलेरिया, डेंगू और फाइलेरिया जैसे बीमारियों के रोकथाम नियत्रंण के कबीरधाम जिले के नगरीय निकाय के साथ-साथ दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाया जाएगा। कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने आज जिला कार्यालय के सभाकक्ष में बैठक लेकर अभियान के कार्ययोजना की समीक्षा की। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग सहित बीस अलग-अलग अर्न्तविभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर तहत मलेरिया, डेंगू और फाइलेरिया जैसे बीमारियों के रोकथाम नियत्रंण के लिए अभियान के सफल क्रियान्वयन में सहभागिता निभाने और उत्तर दायित्व देते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्री विजय दयाराम के. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.के. तिवारी, सभी अनुविभागीय अधिकारी, नगरीय निकाय अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्रीमती नीलू घृतलहरे सहित संबंधित विभाग के अधिकारी विशेष रूप से उपस्थित थे।
कलेक्टर शर्मा ने स्वास्थ्य एवं अन्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए डेंगू और मलेरिया के रोकथाम के नियंत्रण के लिए गतिविधियां संचालित किया जाए। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि नगरीय क्षेत्रों में वेक्टर नियंत्रण बरसात के पूर्व नालियों में पानी की रूकावटों को दूर किया जाए। जल जनित संक्रमण के रोकथाम के लिए पेयजल एवं सीवरेज लाईन की मरम्मत करें। मच्छर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग से समन्वय कर नियमित फागिंग, नल जल योजना एवं अन्य सार्वजनिक पानी टंकी की नियमित क्लोरिनेशन की कार्यवाही सुनिश्चित करने, नगरो के दुकानो के छत में पडे अनुपयोगी वस्तु को हटवाना, स्वच्छता अभियान अंतर्गत कचरा संग्रह वाहन के माध्यम से डेंगू, मलेरिया रोकथाम व नियंत्रण के संबंध में प्रचार-प्रसार, माईकिंग की आवश्कता है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को कुंए तथा नलकूपों के आस-पास पक्के चबुतरों का निर्माण एवं गढ्ढा पाटन करवाना बिगड़े हैंड पंप एवं पानी के स्त्रोंतो के मरम्मत। जल जमाव से निकासी की व्यवस्था करने के निर्देश दिए है। मत्स्य विभाग को वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत गम्बुजिया मछली (लार्वा भक्षी मछली) के उत्पादन एवं वितरण में सहयोग तथा सभी जिला स्तर से उपलब्ध किया जाये। जल संसाधन विभाग को नहरों का साफ-सफाई एवं मरम्मत और जन समुदाय से दूर स्थानों पर चेक डेम का निर्माण करना। स्कूल शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, आदिवासी विकास एवं आदिम जाति विभाग को सभी छात्र छात्राओं को मलेरिया एवं डेंगू से बचाव के लिए जानकारी दें। बैठक में बताया गया कि कोविड़-19 संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण के लिए स्कूल, आंगनबाड़ संचालित नहीं हो रही है ऐसी स्थिति में बच्चों तक मलेरिया, डेंगू के रोकथाम के उपायों की जानकारी बच्चों तक भी पहुंचाई जा सकती है। इसके अलावा वाणिज्य एवं उद्योग विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग, लोकनिर्मार्ण विभाग, वन विभाग, स्वच्छ भारत मिशन, परिवहन विभाग, पशुधन विभाग, नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान, एनजीओ, मितानिन, शहरी कार्यक्रम प्रबंधक को जिम्मेदारी देते हुए मलेरिया, डेंगू और फाइलेरिया जैसे बीमारियों के रोकथाम के लिए समन्वय बनाने कहा है।
डेंगू और मलेरिया के सामान्य लक्षण
ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार चढ़ना, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द। ;इसी कारण इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। आंखों के पिछले भाग में दर्द होनाए जो आंखों को दबाने या हिलाने से बढ़ जाता है। अत्यधिक कमजोरी लगना व भूख न लगना, गले में दर्द होना, शरीर पर लाल चकते होना। अचानक बहुत ठंड लगना और तेज बुखार के साथ दांत बजना। शरीर में जलन, सिर व बदन दर्द, फिर पसीना आकर बुखार उतरना आदि इसके लक्षण है।
डेंगू और मलेरिया से बचाव के उपाय
मच्छरों को घर के अंदर या बाहर पनपने से रोकें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। डेंगू मच्छर अधिकतर घुटनों, टांगों, गर्दन, कानों के आसपास काटता है। इसके लिए अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें, ठहरे हुए पानी में मच्छर न पनपे इसके लिए बारिश शुरू होने से पहले ही घर के पास की नालियों की सफाई और सड़कों के गड्ढे आदि भरवा लें, घर के हर कोने पर समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवाते रहें। बारिश के मौसम में मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
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