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भोरमदेव शक्कर कारखाना के शेयर होल्डर कृषकों को दिया जाए शक्कर÷ बृजलाल अग्रवाल

“ शक्कर शेयर होल्डर कृषकों का हक ”

कवर्धा |  सामाजिक कार्यकर्ता एवं अंशधारी कृषक एवं वरिष्ठ पत्रकार बृजलाल अग्रवाल ने कहा की कबीरधाम जिले के कृषक गन्ना उत्पादक सहकारी शक्कर उत्पादक मर्यादित कारखाना के अंशधारी एवं गत् 3 वर्षों से 50 किलो शक्कर वार्षिक मांग की लागत मूल्य के आधार पर कर रहे है, जो कि पूर्व मे मिलती रही किन्तु अब कारखाना प्रबंधन ने केंद्र की MSP की दर की वजह से 31 रुपए प्रति किलो बताई जा रही है, जबकि पूर्व मे 21 रुपए लागत मूल्य के दर पर अंशधारी को दी जा रही थी यह ठीक ही है कि 21 रुपए प्रति किलो वाली दर की शक्कर 31 रुपए MSP के आधार पर बेचा जाएगा, इससे न केवल कारखाने को फायदा होगा अपितु शेयर होल्डर किसानों को भी लाभांश अधिक मिलेगा । किन्तु प्रश्न यह यही कि ईन 15 वर्षों मे कारखाना प्रबंधन द्वारा अंशधारी कृषकों को कितना लाभांश दिया गया है । इसे सार्वजनिक किया जाए, दिया है अथवा नहीं । चूंकि सहकारिता के आधार पर बने शक्कर कारखाना को कृषकों द्वारा फसल एग्रीमेंट के तहत् निर्धारित दर पर बेचा गन्ना बेचा जाता है , अतः यह शक्कर की मांग उनका अधिकार है मेहरबानी नहीं । इसके अतिरिक्त कारखाने का लाभांश भी मिलना चाहिए, बता दे की शक्कर कारखाना सन् 2005 मे प्रारंभ किया गया था किन्तु तब संभवतः 2011 मे MD श्रीमती अहलूवालिया से चर्चा की गई तब उन्होंने फाइल आगे चलाई एवं MD श्री कान्डे ने तब से कृषकों को शक्कर का कोटा देना प्रारंभ किये । निरंतर शक्कर मिलने पर पुनः MD श्री के. एन. कान्डे से अंशधारी कृषकों को लाभांश दिए जाने की मांग की तब उन्होंने कहा की यह शक्कर ही लाभांश है । अतः अब वह शक्कर भी बंद कर दी गयी । महाराष्ट्र मे शक्कर आज भी उनके शेयर होल्डर को दी जा रही है ।

चूंकि सहकारिता मे सूचना का अधिकार लागू नहीं है, एवं सहकारिता विभाग के नियमों के अंतर्गत यंहा वार्षिक आम सभा लेकर वार्षिक आय व्यय की जानकारी अंशधारी कृषकों को नहीं दी जाती, अतः यंहा कारखाना प्राइवेट लिमिटेड के भांति चलाया जा रहा है ।

अतः बात करे केंद्र सरकार के MSP की तो यह MSP कारखाने से निर्मित शक्कर व्यपारियों को व्यापार करने हेतु लागू है, किन्तु उत्पादक कृषक तो अपने मेहनत की फसल से निर्मित शक्कर वह भी लागत मूल्य से मंग रहे है । जो कि कारखाने खरीदी बिक्री के अंतर्गत नहीं आते यदि कारखना इसे बिक्री मान ले तो क्या अंशधारी कृषक 50 किलो से अधिक शक्कर की मांग करते अथवा खरीदते । अतः कारखाना प्रबंधक को बताना चाहिए, एवं अंशधारी कृषकों को 15 वर्ष का लाभांश दिया जाना चाहिए जो की उनका अधिकार है ।

अतः क्षेत्रीय विधायक द्वय से अनुरोध है कि कारखाना प्रबंधन से अंशधारी कृषकों को निर्धारित शक्कर का कोटा एवं लाभांश दिलाया जाए ।

 



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