कवर्धा l 22 सितंबर 2020। नोबेल कोरोना वायरस के संक्रमण के नियंत्रण एवं रोकथाम को दृष्टिगत रखते हुए तथा वर्तमान में जिले में कोरोना पॉजिटिव प्रकरणों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसे रोकने एवं नियंत्रण में रखने हेतु सभी संबंधित उपाय अमल में लाया जाना उचित एवं आवश्यक हो गया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी रमेश कुमार शर्मा ने नवरात्र पर्व के संबंध में विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किये है। इसके तहत मूर्ति की ऊंचाई एवं चौड़ाई 6 बाई 5 फिट से अधिक न हो। मूर्ति स्थापना पाले पडाल का आकार 15 बाई 15 फिट से अधिक न हो। पंडाल के सामने कम से कम 3000 वर्गफिट की खुली जगह हो। पंडाल एवं समने 3,000 वर्गकिट की खुली जगह में कोई भी सड़क आथवा गली का हिस्सा प्रभावित न हो। एक पंडार दूसरे पंडाल की दूरी 250 मीटर से कम न हो। मंडप, पंडाल के सामने दर्शन के बैठने हेतु पृथक से पंडाल हो, दर्शकों एवं आयोजकों के बचने हेतु कुर्सी नहीं लगाये जाएंगे। किसी भी एक समय में मंडप एवं सामने मिलाकर 20 व्यक्ति से अधिक न हो। मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा जिला समिति एक रजिस्टर संधारित करेगी। दर्शन हेतु आने वाले सभी व्यक्तियों का नाम, पता, मोबाईल नंबर दर्ज किया जायेगा, ताकि उनमें से कोई भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने पर कान्टेक्ट ट्रेसिंग किया जा सके।
इसी प्रकार मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा समिति चार सीसीटीवी लगायेगा, ताकि उनमें से कोई भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने पर कान्टेन्ट ट्रेसिंग किया जा सके । मूर्ति दर्शन अथवा पूजा में शानिल होने वाला कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के नहीं जायेगा, ऐसा पाये जाने पर संबंधित एवं समिति के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही किया जायेगा। मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा समिति द्वारा सेनेटाइटर, थर्मल स्क्रिंनग, ऑक्सीमीटर, हैण्डवॉश एवं क्यू मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था की जायेगी। थर्मल स्किनिंग में बुखार पाये जाने अथवा कोरोना से संबंधित कोई भी सामान्य या विशेष लक्षण पाये जाने पर पंडाल में प्रवेश नहीं देने की जिम्मेदारी समिति की होगी। व्यक्ति अपना समिति द्वारा फिजिकल डिस्टेसिंग आगमन एवं प्रस्थान की पृथक से व्यवस्था बांस बल्ली से बेरिकेटिंग कराकर कराया जायेगा। यदि कोई व्यक्ति जो मूर्ति स्थापना स्थल पर जाने के कारण संक्रमित हो जाता है, तो ईलाज का संपूर्ण खर्च मूर्ति स्थापना करने वाला वाक्ति अथवा समिति द्वारा किया जायेगा। कंटेनमेंट जोन में मूर्ति स्थापना की अनुमति नहीं होगी। यदि पूजा की अवधि के दौरान भी उपरोक्त क्षेत्र कंटेनमेंट घोषित हो जाता है, तो तत्काल पूजा समाप्त करनी होगी। मूर्ति स्थापना के दौरान, विसर्जन के समय अथवा विसर्जन के पश्चात् किसी भी प्रकार के भोज, भंडारा, जगराता अथवा सांस्कृतिक कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं होगी।
मूर्ति स्थापना के समय स्थापना के दौरान, विसर्जन के समय अथवा विसर्जन के पश्चात किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्र, ध्वनि विस्तारक यंत्र डीजे बजाने की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति स्थापना एवं विसर्जन को दौरान प्रसाद, चरणामृत या कोई भी खाद्य एवं पेय पदार्थ वितरण की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए एक से अधिक वाहन की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए पिकअप, टाटाएस (छोटाहाथी) में बड़े वाहन का उपयोग प्रतिबंधित होगा। मूर्ति विसर्जन के वाहन में किसी भी प्रकार के अतिरिक साज-सज्जा, झांकी की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए चार से अधिक व्यक्ति नहीं जा सकेंगे एवं वे मूर्ति के वाहन में ही बैठेंगे। पृथक से वाहन ले जाने की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए प्रयुक्त वाहन पंडाल से लेकर विसर्जन स्थल तक रास्ते में कहीं रोकने की अनुमति नहीं होगी।
विसर्जन के लिए संबंधित अनुभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा निर्धारित रूट मार्ग, तिथि एवं समय का पालन करना होगा। शहर के व्यस्त मार्ग से मूर्ति विसर्जन वाहन को ले जाने की अनुमति नहीं होगी। विसर्जन के मार्ग में कहीं भी स्वागत, भंडारा, प्रसाद वितरण पंडाल लगाने की अनुमति नहीं होगी। सूर्यास्त के पश्चात एवं सूर्यास्त के पहले मूर्ति विसर्जन के किसी भी प्रकिया की अनुमति नहीं होगी। इन शर्तों के साथ घरो में मूर्ति स्थापित करने की अनुमति होगी। यदि घर से बाहर मूर्ति स्थापित किया जाता है, तो कम से कम सात दिवस पूर्व संबंधित अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय से निधारित शपथ पत्र मय आवेदन देना होगा एवं अनुमति प्राप्त होने के उपरांत ही मूर्ति स्थापित करने की अनुमति होगी। पंडालों के लिए पहले आओ पहले पाओ नीति के तहत जो आवेदन पहले प्राप्त होगा, उसे पहले प्राथमिकता दिया जायेगा। इन सभी शर्तो के अतिरिक्त भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को आदेश चार जून 2020 के अंतर्गत जारी एस.ओ.पी. का पालन अनिवार्य रूप से किया जाना होगा। यह निर्देश का तत्काल प्रभावशी होगा तथा निर्देश का उल्लंघन करने पर एपीडेमिक डिसीज एक्ट एवं विधि अनुकूल नियमानुसार अन्य धाराओं के तहत कठोर कार्यवाही की जायेगी।