नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को एक और बड़ा झटका लगा है. पार्टी के पुराने सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने एनडीए से न सिर्फ अपना एक दशक पुराना नाता तोड़ लिया है बल्कि अब वह महागठबंधन का हिस्सा भी बनने जा रहा है. मोर्चा के अध्यक्ष बिनय तमांग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी को पत्र लिख कर महागठबंधन को समर्थन करने की इच्छा जताई है. इससे पहले मोर्चा के महासचिव अनिल थाना कोलकाता में ममता बैनर्जी के नेतृत्व में विपक्ष की महारैली में भी हिस्सा लिया था.
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा 2009 से भाजपा की सहयोगी रही है. माना जा रहा है कि मोर्चा के अलग होने की वजह से उत्तर बंगाल की चार लोकसभा सीटें प्रभावित हो सकती है. कहा जाता है कि इन सीटों पर बगैर मोर्चा के समर्थन के जीत हासिल करना किसी भी राजनीतिक दल के लिए संभव नहीं है. मोर्चा की भाजपा से नाराजगी की वजह यह है कि मोर्चा लंबे समय से इस क्षेत्र में रह रहे चाय बगानों के मजदूरों की जमीन पर पट्टे का अधिकार दिये जाने के साथ ही क्षेत्र के 11 समुदायों को अनुसूचित जाति व जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग भी करता आ रहा है. लेकिन उसकी ये मांगें केन्द्र में भाजपा की सरकार के होने के बावजूद भी पूरी नहीं हो पाई. मोदी सरकार ने SC-ST का दर्जा दिलाने के लिए विधेयक तक सदन में नहीं लाया. वहीं ममता बैनर्जी से हाथ मिलाने के बाद माना जा रहा है कि अगर ममता सरकार ने पट्टा की मांग पर निर्णय ले लिया तो इस क्षेत्र में भाजपा को तगड़ा झटका लग सकता है.