अमेरिकी के टेक्सास में मंगलवार को रॉब एलिमेंट्री स्कूल में 18 वर्षीय युवक ने अंधाधुंध फायरिंग की। इस हमले में 19 स्टूडेंट और 2 टीचर की मौत हो गई। इस गोलीबारी के बाद एक बार फिर अमेरिका में हिंसक वीडियो गेम चर्चा में है। एक्सपर्ट इस तरह की अंधाधुंध गोलीबारी के पीछे हिंसक वीडियो गेम को भी जिम्मेदार मानते हैं। कई रिसर्च में यह साबित भी हो चुका है। एक रिसर्च में दावा किया गया है कि जिन बच्चों ने गन वायलेंस वाले वीडियो गेम को देखा या खेला है, उनमें से 60% बच्चे तुरंत गन चलाना चाहते थे।
2019 में अमेरिकी राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप ने भी गोलीबारी की घटना को नफरत और हिंसक वीडियो गेम से जोड़ा था।
ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या अमेरिका में गोलीबारी का कारण हिंसक वीडियो गेम हैं? हिंसक वीडियो गेम और गोलीबारी को लेकर रिसर्च क्या कहती है?
क्या अमेरिका में गोलीबारी की घटना के पीछे हिंसक वीडियो गेम होते हैं?
एक रिसर्च में दावा किया गया है कि जो बच्चे गन वायलेंस वाले वीडियो गेम देखते या खेलते हैं, उनमें गन को पकड़ने और उसका ट्रिगर दबाने की ज्यादा इच्छा होती है। JAMA नेटवर्क ओपन की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इसमें रिसर्चर्स ने 200 से ज्यादा बच्चों में से 50% को नॉन वायलेंट वीडियो गेम और कुछ को गन वायलेंस वाले वीडियो गेम खेलने को दिए गए। इसके कुछ देर बाद ही देखा गया कि वायलेंस गेम खेलने वाले 60% बच्चों ने तुरंत गन को पकड़ा, जबकि नॉन वायलेंट गेम खेलने वाले सिर्फ 44% बच्चों ने गन को पकड़ा।
रिसर्च के को ऑथर औार ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में कम्युनिकेशन के प्रोफेसर कहते हैं कि नई फाइंडिंग से हम सबको सीखना चाहिए। खासकर गन ओनर्स को अपनी गन और सुरक्षित तरीके से रखनी चाहिए। साथ ही पेरेंट्स को अपने बच्चों को हिंसक वीडियो गेम से बचाना चाहिए।
अमेरिकी साइकोलॉजिकल एसोसिएशन और अमेरिकी एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक सलाह दे चुके हैं कि बच्चों और किशोरों को हिंसक वीडियो गेम नहीं खेलना चाहिए।
इन घटनाओं में सीधे तौर पर हिंसक वीडियो गेम का लिंक मिला
2012 : कनेक्टिकट स्कूल में गोलीबारी करने वाला स्कूल शूटिंग गेम खेलता था
अदम लांजा ने 2012 में कनेक्टिकट के एक स्कूल में हमला कर 26 स्कूली बच्चों और स्कूल के कर्मचारियों को मार दिया था। वह हर दिन कई घंटों तक दुनिया के कुछ सबसे हिंसक वीडियो गेम खेला करता था। इनमें स्कूल शूटिंग नाम का एक गेम भी शामिल था।
2018 : फ्लोरिडा में हमला करने वाला 15 घंटे हिंसक वीडियो गेम खेलता था
इसी तरह 2018 में फ्लोरिडा के हाईस्कूल पर हमला कर 17 लोगों की जान लेने वाले निकोलस क्रूज के बारे में भी कहा जाता है कि वह हर दिन 15 घंटे हिंसक वीडियो गेम खेला करता था।
2009 : जर्मनी में गोलीबारी करने वाला भी वीडियो गेम का शौकीन था
2009 में जब जर्मनी में एक लड़के ने 16 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी और सबको मारने के बाद खुद को भी गोली मार ली थी। मीडिया में चली रिपोर्टों के अनुसार यह लड़का शूटिंग वाली वीडियो गेम्स का शौकीन था और कई घंटों तक टीवी की स्क्रीन के आगे लोगों पर गोलियां चलाने के कारण उसने असल जिंदगी में भी ऐसा किया।
मानसिक तनाव भी एक बड़ा कारण
1. नवंबर 2018 में कैलिफोर्निया के एक बार में 12 लोगों की जाने लेने वाले डेविड लोंग के बारे में माना जाता है कि उसे मानिसक तनाव की समस्या थी।
2. 2018 में ही ओहायो की बार में 9 लोगों की जान लेने वाले कोनॉर बेट्स में भी हाईस्कूल में पढ़ने के दौरान कुछ खतरनाक प्रवृत्तियां नजर आई थीं।
बड़ी मैगजीन वाली बंदूकों का आसानी से उपलब्ध होना सबसे बड़ा कारण
सभी हमलों में एक सामान्य बात जरूर नजर आती है और वह है बड़ी मैगजीन वाली बंदूकों का आसानी से उपलब्ध होना। स्टीफन पैडॉक ने 2017 में लास वेगस के एक कंसर्ट पर गोलीबारी कर 58 लोगों की जान ले ली थी। वह ना तो मानसिक रोगी था, ना ही किसी विचारधारा से प्रभावित था और ना ही वीडियो गेम खेलता था। उसने दो दर्जन हथियारों का इस्तेमाल कर हमला किया। इसमें एआर-15 जैसे असॉल्ट राइफल भी शामिल थे।
इसी तरह 2018 में पेनसिल्वेनिया में 11 लोगों की जान लेने वाले रॉबर्ट बोवर्स ने हमले के लिए चार बंदूकों का इस्तेमाल किया। वह कानूनी रूप से 21 बंदूकों का मालिक था। बेट्स ने भी जिस असॉल्ट राइफल से हमला किया वह उसने ऑनलाइन खरीदी थी। इस बंदूक में 100 गोलियों वाली ड्रम मैगजीन लगाई जा सकती है।