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कबीरधाम जिला प्रशासन के द्वारा भोरमदेव प्रबंध कमेटी का तीन वर्षों से मीटिंग नही बुलाई गई…

भोरमदेव मंदिर का बोर बंद होने के कारण बाहर से आने वाले श्रद्धलुओं को पानी के लिये तरसना पड़ रहा है

भोरमदेव मंदिर के सरोवर मे मछली मारी जा रही है

कवर्धा l छत्तीसगढ़ का खुजराहो भोरमदेव प्रबंध कमेटी के सह-सचिव एवं सामाजिक कार्यकर्ता एवं वरिष्ट पत्रकार बृजलाल अग्रवाल ने भोरमदेव पर्यटन स्थल एवं मंदिर मे व्याप्त अव्यवस्था से होने वाली धूमिल छवि पर वहाँ अधिकृत कोषाध्यक्ष एवं व्यवस्थापक तहसीलदार पर आरोप लगाते हुए कहा की भोरमदेव प्रबंध कमेटी विगत 50 वर्षों से पूरी जिम्मेदारी पारदर्शिता एवं नियमानुसार कार्य कर रही है, जिसके परिणाम देखे जा रहे है किन्तु गत् 3 वर्षों से इस कमेटी की बैठक ही नहीं बुलाई जा रही जिसके फलस्वरूप यहाँ अव्यवस्था को मीडिया आईना दिखा रही है ।

ज्ञातव्य हो की एवं प्रबंध कमेटी एक पंजीकृत संस्था है इसमे पदेन सदस्य माननीय कलेक्टर महोदय जिला पुलिस अधीक्षक क्षेत्रीय विधायक एवं तहसीलदार व्यवस्थापक एवं कोषाध्यक्ष के अतिरिक्त 11 कार्यकरिणी सदस्य है , जिनमे एक अध्यक्ष , एक उपाध्यक्ष एक सचिव है । कमेटी की समय – समय पर बैठके होती है जिसमे मंदिर पर्यटन स्थल के हितों को ध्यान मे रखकर आवश्यक योजनाए कार्य आय-व्यय की व्यवस्था हेतु प्रस्ताव अनुमोदन कर चेक द्वारा भुगतान किया जा रहा है , इसमे बाहरी हस्तक्षेप अमान्य है । 

प्रबंध कमेटी की बैठक विगत 3 वर्षों से न होने के कारण यहाँ पदस्थ कोषाध्यक्ष एवं व्यवस्थापक ने मनमानी प्रारंभ कर दी एवं इतना दुस्साहस किया की कमेटी द्वारा निर्धारित बेरियर को पार्किंग ठेकेदार को मौखिक आदेश कर काफी पीछे हटवा दिया ।

प्रबुध नागरिकों का कहना है की यहाँ टोल-टेक्स या पार्किंग टेक्स ? चूंकि जहां बेरियर लगवाए है वहाँ पार्किंग स्थल है ही नहीं इस बेरियर से निकलने वाले वाहन अंदर जाकर बेतरतीब खड़े होते है, जबकि पूर्व मे माननीय कलेक्टर साहब ने गार्डन के पास 11 लाख स्वीकृत कर पार्किग व्यवस्था की थी ताकि बुजुर्ग महिला पुरुष बच्चे मरीज आदि दर्शानार्थियों को अधिक पैदल दूरी पार ना करना पड़े अतः वर्तमान बेरियर को पुनः पार्किंग के पास यथावत रखा जाना उचित होगा इसके अतिरिक्त व्यवस्थापक द्वारा मंदिर परिसर के अंदर बने शौचालय की चाबी वर्तमान सरपंच ग्राम चौरा को सौप दी तब से लगभग 1 वर्ष से उक्त शौचालय बंद पड़ा है |

व्यवस्थापक का अनदेखी के कारण 17 लाख की लागत से बना धर्मशालय के बाजू का शौचालय बंद पड़ा है, पर्यटक आखिर जाए तो जाए कहा ? भोरमदेव मंदिर का बोर बंद रहने से पेयजल की काफी किल्लत है | इसके अतिरिक्त परिसर मे स्थित जल टंकी मे पी. एच. ई. विभाग द्वारा पानी सप्लाई लाईन दी गई है। किन्तु उक्त सप्लाई लाइन लीकेज होने के कारण जल टंकी नहीं भर पा रही है । जससे पानी का हाहाकार मचा हुआ है | मंदिर के समीप स्थित गार्डन मे बार-बार गंदगी का समाचार मिल रहे है, किन्तु इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जबकि पूर्व मे यहाँ सफाई की जिम्मेदारी कवर्धा खूटू नर्सरी के प्रभारी को दी गई थी तब तक कोई शिकायते नहीं आई थी ।

व्यवस्थापक के अनदेखी के कारण पर्यटन स्थल मे चौरा सरपंच की मनमानी चल रहा है , जबकि ग्राम पंचायत का कोई यहाँ अधिकार नहीं है

प्राप्त शिकायतों के अनुसार सरपंच द्वारा छोटे-छोटे चंद साग-सब्जी विक्रेताओ द्वारा 10 रु. प्रति सब्जी बेचने वालों से लिया जा रहा है, इसके अतिरिक्त यहाँ स्थित दुकानदारों द्वारा 300 रु. प्रति माह लिया जा रहा है, नहीं देने पर उन्हे नोटिस दी जा रही है की 3 साल तक किराया पटाये अन्यथा दुकाने तोड़वा दी जाएगी जिससे उनमे असंतोष है इतना ही नहीं भोरमदेव मंदिर के सरोवर मे मछली मारी जा रही है, जिससे धार्मिक भावनाओ पे आघात पहूँचता है । पार्किंग ठेकेदार को भी परेशान किया जा रहा है । जबकि ठेकेदार को नियमानुसार टेंडर के द्वारा मार्च तक ठेका दिया गया है |

ज्ञातव्य हो मंदिर स्थित बोरवेल्स को तत्काल सुधरवाकर पेयजल की व्यवस्था तत्काल कर दी गई है और वहाँ कोई किल्लत नहीं है ।



 

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