खुलेआम देश के संविधान का उल्लंघन कर संविधान को नीचा दिखाने और शिक्षा को महंगा करने की साजिश
आने वाले सप्ताह में इनके खिलाफ धारा 124 ए के तहत राज्य द्रोह का अपराध दर्ज करवाने आंदोलन
राजनांदगाँव – छत्तीसगढ़ छात्र पालक संघ द्वारा पिछले कई वर्षों से शिक्षा को व्यापार बनाकर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए अर्जित करने वाले स्कूल संचालकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने एवं लाभ कमाने वाले ऐसे स्कूलों की मान्यता समाप्त करने की मांग राज्य शासन और जिला प्रशासन से भी की जाती रही है पालक संघ की मांग पर राज्य शासन द्वारा निजी स्कूलों की जांच कराने हेतु आदेश भी जारी किया गया इसके अलावा किताबों एवं ड्रेस पर कमीशन खोरी को रोकने की मांग पालक संघ के द्वारा राज्य शासन से की गई जिस पर राज्य शासन के द्वारा आदेश जारी कर केवल संबंधित बोर्ड (सी0बी0एस0ई0)के लिए (एन0सी0ई0आर0टी) और (सी0जी 0बोर्ड) के लिए (एस0सी0ई0आर0टी) की किताबों से ही शिक्षण कार्य संचालित करने हेतु आदेशित किया गया था ,परंतु जिले के शिक्षा अधिकारी एवं उनके सहायक अधिकारियों द्वारा निजी स्कूल संचालकों से सांठगांठ कर उन्हें शिक्षा का अधिकार अधिनियम मान्यता की शर्तों और राज्य शासन के समस्त आदेशों का उल्लंघन करने की छूट प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए कमाने और निजी प्रशासकों की किताबों के नाम पर लाखों रुपए कमीशन खाने की खुली छूट प्रदान की गई है, इस वर्ष विश्व में कोविड-19 कोरोनावायरस विश्वव्यापी समस्या जिसके चलते पूरे देश में लोक डाउन की स्थिति निर्मित हुई थी, जिससे पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई,और लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए ,इस बीच केंद्रीय शिक्षा विभाग , राज्य शासन के द्वारा सभी स्कूलों को इस महामारी के खत्म होते तक बंद रखने का आदेश जारी किया गया था, इस बीच निजी स्कूल संचालकों के द्वारा अपनी मर्जी से ऑनलाइन शिक्षा प्रदाय करने हेतु , बिना पलकों की अनापत्ति लिए यह कार्य करवाया गया , पलकों पर फीस पटाने हेतु लगातार दबाव बनाया गया , जब पालकों ने फीस नहीं दी तो इन्होंने माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष शिक्षकों का वेतन देने संबंधित याचिका दायर की जिसमें माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा 33 बिंदुओं में आदेश दिया , जिसमें कुछ बिंदुओं में यह भी उल्लेखित है कि शिक्षा प्रदाय करने की समुचित व्यवस्था निजी स्कूल संचालकों की होगी परंतु किसी भी निजी स्कूल संचालक के द्वारा ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने हेतु किसी भी प्रकार की समुचित व्यवस्था नहीं कराई गई, एवं इतना ही नहीं शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के तहत जो बच्चे निजी स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं ,उन्हें इस कोरोना काल के दरमियान किसी भी प्रकार की शिक्षा इन निजी स्कूलों के द्वारा प्रदाय नहीं की गई ,यह भी घोर अपराध की श्रेणी में आता है, इतना ही नहीं इन निजी स्कूलों के द्वारा लगातार बच्चों के ग्रुपों में फीस पटाने संबंधित एवं कानून की कई धाराओं पर कार्यवाही करवाने संबंधित भी मैसेज प्रसारित किए गए, जिससे पालक दुखी होकर इस कोरोनावायरस महामारी के बीच अपनी जान हथेली में लेकर जिला प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करने मजबूर हो गए , लगातार जिला कलेक्टर एवं जिला शिक्षा विभाग से शिकायत के बावजूद भी शिक्षा विभाग द्वारा अधिनियम और नियमों का उल्लंघन कर संचालित स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई और शिक्षा विभाग की मिलीभगत को दर्शाता है ,अभी हाल ही में छात्र संघ के द्वारा जिले में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए कमाने वाले विभाग की मांग जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग कार्यालय से की गई थी ताकि प्रमाणित हो सके कि स्कूल मान्यता की शर्तों और राज्य शासन के समस्त आदेशों का पालन करते हुए लाभ हानि के सिद्धांतों पर संचालित हो रहे हैं परंतु अभी तक शिक्षा विभाग के द्वारा किसी भी स्कूल पर कड़े रूप से कार्यवाही नहीं की गई है इसलिए आने वाले हफ्ते में छात्र पालक संघ के द्वारा निजी विद्यालय संचालकों के विरुद्ध देश के संविधान को नीचा दिखाते हुए जिस तरह से संविधान विरुद्ध कार्य किया जा रहा है और शिक्षा जैसे सेवा के कार्य को व्यापार बनाकर महंगा कर देश के आने वाले भविष्य के बच्चों को अनपढ़ रखने का षड्यंत्र कर गंभीर अपराध किया है अपराध के लिए राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को भी कड़ी से कड़ी कार्यवाही स्कूल संचालकों और उनके सहयोग करने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर (धारा 124ए) के तहत राज्य द्रोह का अपराध करने की मांग को लेकर आंदोलन किया जावेगा जिसमें लगभग हजारो पालक उपस्थित होकर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे इससे जो अव्यवस्था निर्मित होंगी उसके लिए पूर्ण रूप से जिला शिक्षा विभाग एवं स्कूल संचालक जवाबदार होंगे ।