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लखनऊ: – मां-बेटे की हत्या का मामला 4 साल से डिप्रेशन में थी रेलवे अफसर की बेटी; कहा- घर में भूत दिखते थे, पर मां और भाई विश्वास नहीं करते थे, दीवारों पर आंसुओं वाले इमोजी बने मिले

लखनऊ | 30 अगस्त 2020  में शनिवार को रेल मंत्रालय में कार्यकारी निदेशक राजेश दत्त बाजपेई की नाबालिग बेटी ने अपनी ही मां और सगे भाई की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने हत्यारोपी बेटी को हिरासत में लिया और पूछताछ की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। लड़की ने पुलिस को बताया कि उसे घर में भूत दिखते थे। जब इस बात का जिक्र वह परिजन से करती तो कोई विश्वास नहीं करता था। उसने अपने कमरे में आंसू वाले इमोजी बनाए थे। पता चला कि वह चार साल से डिप्रेशन में थी। इसका बात का जिक्र उसने कई बार अपनी डायरी में भी किया है।

मां और भाई मेरी बातों पर विश्वास नहीं करते थे

हत्यारोपी लड़की लखनऊ के एक प्रतिष्ठित कॉलेज की छात्रा है। वह शूटिंग की खिलाड़ी है। लड़की ने कहा कि उसे कभी कमरे में तो कभी बरामदे में भूत दिखते थे। लेकिन मां और भाई इन सब बातों पर विश्वास नहीं करते थे। धीरे धीरे उसे लगने लगा कि उसकी बात कोई नहीं मानता है, न ही उसे कोई प्यार करता है। पुलिस को छात्रा के कमरे में जगह-जगह कंकाल, आंसू वाले इमोजी बने मिले। छात्रा ने अपने हाथ ओआर गॉड भी लिखा रखा था। पुलिस ने जब छात्रा से हाथ काटने की वजह पूछी तो उसने कहा कि इसमें कौन-सी बड़ी बात है। मैंने पढ़ा है कि रोज 1.5 मिलियन लोग अपना हाथ काटते हैं। यह तो नॉर्मल बात है।

पिता का जन्मदिन था, दिल्ली से लौटे से बेटी को गले से लगाया

गौतमपल्ली निवासी रेलवे के अधिकारी राजेश दत्त बाजपाई का शनिवार को जन्मदिन था। लेकिन उसी दिन ये वारदात हो गई। रात करीब 12 बजे दिल्ली से घर पहुंचे राजेश दत्त बाजपेई को देखकर बेटी फफक पड़ी। उन्होंने बेटी को गले से चिपका लिया। दोनों गले लगकर खूब रोए। राजेश दत्त ने कहा कि बेटी बहुत मेधावी है। डिप्रेशन ने सबकुछ छीन लिया।

फेसबुक पर केवल दो पोस्ट

छात्रा के फेसबुक पर केवल उसके पिता फ्रेंडलिस्ट में हैं और उसने अकाउंट बनाए जाने के बाद एक से दो पोस्ट किए हैं। प्राइवेसी भी लॉक किया है। एक अपनी उपलब्धियों का प्रमाणपत्र ही पोस्ट किया है।

दूसरों को नुकसान पहुंचाएं, ऐसे बहुत कम मामले

केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी बताते हैं कि मानसिक बीमारी का दायरा बहुत बड़ा होता है। आमतौर पर डिप्रेशन से पीड़ित ज्यादातर मरीज खुद को नुकसान पहुंचाते हैं। दूसरों को नुकसान पहुंचाने के मामले बहुत बड़े कम सामने आए हैं। रेलवे अधिकारी की बेटी का मामला उनमें से एक है। अकेलापन और अपनी दुनिया में जीने वाले लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं। उनको रोक-टोक पसंद नहीं होता है।



 

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