पालकों के भरोसे चलती है स्कूल स्टॉफ की जिंदगी
कवर्धा :- कोरोना वायरस (कोविद-१९) के चलते विगत तीन माह से निजी स्कूलों का संचालन पर मानो गाज गिर गया हो। पालकों द्वारा विगत तीन माह का फीस भुगतान नहीं किये जाने की वजह से तमाम निजी स्कूलों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा हैं। उक्त बातें युवा लेखक और कवि पत्रकार निखिलेश सोनी प्रतीक ने कही। सोनी ने बताया कि कोरोना काल में जैसे-तैसे तमाम जरूरतमंदों की मदद किसी न किसी स्तर पर की गई है और की जा रही है ऐसे भी बच्चों के उज्जवल भविष्य गढ़ने वाले निजी स्कूलों के शिक्षकों को क्यों उनका वाजिब हक़ मिलना चाहिए। श्री सोनी ने कहा कॉरोनकाल जिसके चलते स्कूल स्टॉफ भी विकट अर्थाभाव में दिन काट रहे हैं. एक ओर सरकारी शिक्षकों को राज्य सरकार निरंतर पूरी तनख्वाह दे रही हैं तो दूसरी तरफ पालकों द्वारा फीस भुगतान के आभाव में निजी स्कूल के शिक्षकों की जिंदगी ही अँधेरे में समा गई हैं। सोनी ने आगे कहा निजी स्कूल के संचालन में लगे तमाम वैतनिक कर्मी जैसे :-
प्राचार्य, उप प्राचार्य, शिक्षक, ऑपरेटर, भृत्य, आया, बस चालक, परिचालक, रसोइया तथा अन्य गतिविधियों के कर्मी होते हैं जिन्हें मासिक तनख्वाह समय पर दिये जाते रहे हैं किन्तु विगत तीन माह से इन्हें भी तनख्वाह नहीं मिले हैं जिसकी वजह से ये तमाम कर्मी खासे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, यदि पालक तीन माह का फीस नहीं देंगे तो निजी स्कूलों के स्टॉफ का वेतन कहाँ से मिलेगा, ऐसे में निजी स्कूलों पर संकट छाना स्वाभाविक हैं। राज्य सरकार के ध्यान आकृष्ट कराते हुये तर्कसंगत और न्यायसंगत निर्णय यही है कि पालकों को तीन माह की फीस निजी स्कूल में जल्द से जल्द जमा करनी चाहिये जिससे स्कूल शिक्षकों और अन्य कर्मियों के वेतन उन्हें मिल सके, क्योंकि इन तमाम लोगों के वेतन का एकमात्र श्रोत पालक ही हैं, पालक के भरोसे निजी स्कूलों का संचालन संभव है।
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