कवर्धा-पॉलीथीन में समान बेचते पकड़े जाने पर जुर्माना के साथ सजा का भी प्रावधान है। किसी प्रकार के पॉलीथीन में समान बेचने पर प्लास्टिक अवशिष्ट अधि. 2011 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 16 के अधीन कार्यवाही की जाएगी। दोषी पाए जाने पर प्रावधान के तहत जुर्माना के साथ साथ कम से कम 6 वर्ष की सजा का भी प्रावधान है। जिसे नजर अंदाज करते हुए कबीरधाम जिले के व्यापारी धड़ल्ले से पॉलीथीन बेच कर उपयोग कर रहे है। प्रदेश सरकार द्वारा पॉलीथीन प्रतिबंध अभियान साल भर भी नहीं टिक पाया। शहर में एक बार फिर जोर-शोर से पॉलीथीन का उपयोग शुरू हो गया है। जबकि शासन के नियमानुसार 20 माईकॉर्न से कम फिटनेस वाली पॉलीथीन प्रतिबंधित है। प्रतिदिन शहर से निकलने वाले कचरे में एक बड़ा हिस्सा पॉलीथीन का ही दिखाई दे रहा है। राज्य शासन ने पॉलीर्थीन के कैरीबेग के इस्तेमाल पर तो रोक लगा दी है। नियमानुसार न तो कोई दुकानदार पॉलीथीन कैरीबेग में समान दे सकता है और न ही नागरिक इसका उपयोग कर सकते है। शासन के आदेश जारी होने के तुरंत बाद नगर पालिका परिषद ने एलाउंस कलाकर दुकानों में छापामारी की कार्यवाही करते हुए कुछ दुकानदारों से पॉलीथीन की कैरीबेग जप्ती की थी और अब न तो जांच होती है और न ही पॉलीथीन जप्त किए जा रहे है। जबकि इन दिनों बाजार में हर सब्जीठेले, किराना दुकानदारों द्वारा इसका धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। कैरीबेग का पहेली जैसे स्थिति फिर से शुरू हो जाने का सबसे पहला असर यह हुआ है कि शहरी कचरे में पॉलीथीन कैरीबेग की मात्रा फिर बढ़ गई है। जो इन दिनों प्रदूषण का कारण बनी हुई है। अधिकांश नालियों में यही कैरीबेग जाम कर रहे है। शहर सहित ग्रामीण अंचलों के बाजार हाट में भी कैरीबेग वाले पॉलीथीन में समान लिए आते जाते लोग दिखाई देते है। प्रशासनिक अधिकारी इन छोटे छोटे व्यापारियों से जप्ती न बनाकर बड़े पॉलीथीन व्यापारियों के गोदामों में यदि छापामार कार्यवाही करें, तो हजारों क्विंटल पॉलीथीन कैरीबेग जप्त किए जा सकते है। बड़े कारोबारी पॉलीथीन कैरीबेग को अपने दुकान में रख कर दुसरे के गोदामों में एकत्रिक कर रखे हुए है। जिससे संबंधित व्यापारियों को धड़ल्ले से बेच रहे है
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