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खेतो मे गन्ना जल रहा है या किसान जला रहे


0 प्रशासन की लापरवाही से गन्ना उत्पादको मे रोष
कवर्धा – जिले मे प्रतिदिन गन्ना के खेतो मे आग लगने की घटना दिखने सुनने को आ रही है। यह मामला जाॅच का है किसान अपने गन्ना को जला रहे है या सच मे आग लग रही है। गन्ना उत्पादक किसान हताश निराश हो गये है उनके फसल की लागत मुल्य नही मिल रहा है इसी रोष मे अपनी फसल जला रहे है या फिर जले हुए गन्ना के लिए कुछ प्रतिशत पैसे काटकर कारखाना मे शीघ्र गन्ना आपूर्ति पर्ची मिल जाता है इस लिए भी जला रहे है यह जाॅच का विषय है। जिले मे दो शक्कर कारखाने है जहां पेराई सुस्त है इन कारखाना मे सिर्फ शेयरधारी किसानो का ही गन्ना लिया जा रहा है।

भोरमदेव कारखाने की बात करे तो यहां 12 हजार 621 शेयरधारी किसान है। इनसे 6 राउंड मे गन्नों की खरीदी होना है। नवंबर 2018 मे पेराई सत्र शु़रू हुआ कृषको को पहले राउंड मे गन्ना खरीदी के लिए पर्ची जारी हुई। पेराई सत्र मई तक खिंचेगी ऐसे मे गर्मी बढने से गन्ना सूखने लगेे। नुकसान से बचने के लिए अधिकांश किसान गुड फैक्ट्रियों मे कम रेट मे बेचने को मजबूर हो रहे है यदि फसल पर आंकलन किया जाये तो गन्ना बीज खाद पानी और सालभर की मजदूरी फिर गन्ने को ट्रेक्टर मे गुड फैक्ट्रियों तक ले जाने का खर्च को जोड़ा जाये तो किसान के घर से पैसा जा रहा है गन्ना फसल मे लागत मुल्य भी नही निकल रहा है उल्टा किसान कर्ज से दब रहा है।

चारों ब्लाॅक के 476 गांवो मे 25398 गन्ना उत्पादन किसान है। इन किसानो ने करीब 30 हजार हेक्टेयर मे गन्ना लगाया है। 55 टन प्रति हेक्टेयर के मान से 16.50 लाख मीट्रिक टन गन्ना उत्पादन का अनुमान है। इस सीजन जिले के दोनो शक्कर कारखाने मे 8.50 लाख मीट्रिक टन गन्ना खरीदी व पेराई का लक्ष्य है। यानि बचत गन्नों को कम रेट में बेचना मजबूरी होगा। जिले के किसान इस बार गन्ने की फसल लगातार परेशानी मोल ले लिए है क्योंकि छोटे किसानों को गन्ना बेचने पर लागत भी नहीं मिल पा रही है। शक्कर कारखाना मे समय पर पर्ची नही मिलने के कारण किसानो का गन्ना खेतो मे सूखने लगा है। ऐसे मे उन्हें नुकसान उठाना पडेगा।
इसी के चलते वे गुड फैक्ट्री में गन्ने को मजबूर हो रहे है। वहीं गुड फैक्ट्री मे संचालक किसानों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए 120 से 160 रूपए किवंटल की दर से गन्ना खरीद रहे है।

शक्कर कारखानों मे अव्यवस्था से गन्ना उत्पादन किसान परेशान है। खेतो मे किसान गन्ने की कटाई कर चुके है लेकिन फसल को बेचने के लिए कारखाना प्रबंधन द्वारा कई किसानों को समय पर पर्ची नही दे पा रहा है। पर्ची नहीं मिलने से किसानों की फसल खेतों मे सूख रही है। किसान कम दाम पर गुड फैक्ट्री मे गन्ना बेचने को मजबूर है।

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