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कबीरधाम जिले के अंतिम छोर में बसे बेंदा के नेत्रहीन युवक ने किया मतदान

 जिले में दिव्यांग मतदाताओं की कुल संख्या 3958 है
 पंडरिया विधानसभा क्षेत्र में 2158 और कवर्धा विधानसभा क्षेत्र में 1800 दिव्यांग मतदाता है

कवर्धा – लोकसभा निर्वाचन 2019 के दूसरे चरण में प्रदेष के राजनांदगांव लोकसभा सीट के लिए 18 अप्रैल को मतदान किया गया। इस मतदान में नेत्रहीन, दिव्यांग, मूक बधिर ने भी अपनी पूरी सहभागिता निभाते हुए लोकतंत्र को मजबूत बनाने मतदान किया है। जिले के दोनों विधानसभा क्षेत्र कवर्धा एवं पंडरिया में दिव्यांग मतदाताओं के लिए एक-एक विशेष मतदान केन्द्र बनाये गये थे, जहां दिव्यांग कर्मचारियां का ड्यूटी लगाया गया था। जिले में दिव्यांग मतदाताओं की कुल संख्या 3958 है। इनमें पंडरिया विधानसभा क्षेत्र में 2158 और कवर्धा विधानसभा क्षेत्र में 1800 दिव्यांग मतदाता है। इन मतदाताओं में 2789 अस्थि बाधित, 499 दृष्टि बाधित, 596 मूक बधिर एवं 74 अन्य तरह के दिव्यांग है। दृष्टि बाधित 499 मतदाताओं को सुगम मतदान के लिए ब्रेल लिपि में मतदाता पहचान पत्र (इपिक कार्ड) बुथ लेवल अधिकारियों के माध्यम से वितरित किया गया। आज भी बहुत से ऐसे लोग है जो सुविधाएं होने के बाद भी मतदान करने नहीं पहुंच पाते। लेकिन दिव्यांग सहित नेत्रहीनों ने अपने परिजनों के साथ पहंुचकर मतदान किया है और मतदान करने के साथ उन्होने सभी से मतदान करने अपने ग्राम के लोगों को प्रेरित भी किया है। छत्तीसगढ के अंतिम छोर मे बसे ग्राम पंचायत बेंदा के नेत्रहीन युवक ने मतदान किया है। यह युवक आंख से भले ही ना देख पाये लेकिन ये ग्राम के लोगों से हाथ मिलाकर ही पहचान जाता है कि कौन युवक उससे हाथ मिला रहा है। आंखे नही होेने के बावजूद रमेष मेरावी ,झांझ, मंजीरा, ढोलक बहुत अच्छी तरीकें से बजा लेता है। लोग यह भी कहते है कि अगर ऊपरवाला षरीर के किसी हिस्से को कमजोर कर देता है तो उसे कुछ न कुछ ऐसी भी कला दे देता है जिसमें उसे महारत भी मिल सकती है। इस युवक के पास कला तो है पर गरीब परिवार से होने के कारण साधन नही है।

आज भी दिन हो या रात यह आसानी से ग्राम पंचायत बेंदा से लूप व कभी-कभी चिल्फी तक भी पहुंच जाता है। इस युवक ने बताया कि कवर्धा जिला अस्पताल में लगने वाले षिविर में आंख की जांच कराने भी पहुंचा था लेकिन समय अभाव के कारण वो डाॅक्टरों से नहीं मिल पाया। यह नेत्रहीन युवक हाथों में 10 रूपये से लेकर 2 हजार रूपये तक के नोटों को महसूस कर पहचान लेता है। युवक ने बताया कि गरीबी के कारण वह अपनी कला को नही निखार पा रहा है। इसके साथ ही इसकी भी दिली इच्छा है कि वह भी सामान्य लोगों की तरह दुनिया देख सके। लेकिन गरीबी परिस्थिति होने के कारण वह अपनी आंखो का इलाज नहीं करा पा रहा है। उनके माता-पिता भी मेहनत मजदूरी कर जीवनयापन कर रहे है। ग्राम में इस नेत्रहीन युवक के कुछ दोस्त भी है जो किसी न किसी कार्यक्रम में इसे लेकर जाते है और यह युवक विधुन होकर ढोलक बजाता है। युवक ने जिला प्रषासन से अपने आंख का आॅपरेषन करवाने के लिए समाचार पत्र के माध्यम से गुहार लगाई है।

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