भिलाई. छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह सिस्टम का खामियाजा एक बार फिर मरीज को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। कैलाश नगर मस्जिद के पास गश खाकर गिरने से बेहोश हुए युवक की इस सिस्टम ने जान ले ली। युवक के बड़े भाई जिस सरकारी एंबुलेंस से उसको लेकर शास्त्री अस्पताल रवाना हुए, जरूरत पड़ने पर उसमें ऑक्सीजन नहीं मिली। वहीं भिलाई के इस प्रमुख अस्पताल के मुख्य द्वार पर मिली स्ट्रेचर को भी घसीट कर ले जाना पड़ा और बाकी कसर डॉक्टर की लापरवाही ने पूरी कर दी।
पल्स देखने के बाद डॉक्टर ने मरीज को घोषित किया ब्राड डेड
दरअसल, 42 वर्षीय सुनील कुमार सिंह कैलाश मस्जिद के पास 6 अप्रैल को बेहोश होकर गिर पड़े। इसकी जानकारी उनके बड़े भाई अजय सिंह को लगी तो वो मौके पर पहुंचे और एंबुलेंस को कॉल किया। 108 की जो एंबुलेंस पहुंची उसमें ऑक्सीजन ही नहीं था। ऐसे में बिना ऑक्सीजन करीब 5 किमी दूर शासकीय अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मरीज की तबीयत और बिगड़ गई। अस्पताल में मुख्य द्वार पर ऐसी स्ट्रेचर मिल गई, जिसके दो पहिए खराब होने से घसीट कर डॉक्टर के कमरे तक ले जाना पड़ा। डॉक्टर कक्ष के सामने मरीज पहुंचने के बाद भी डॉक्टर ने तत्काल देखने की बजाय पांच मिनट की देरी कर दी। ऐसे में डॉक्टर के पास बेहोश मरीज को ब्राड डेड घोषित कर पोस्टमार्टम कराने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा।
जामुल थाने के नाम पर पिता के पास की गई थी कॉल, तबसे लापता
स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह सिस्टम से जिस सुनील सिंह की मौत हो गई, उसे पिता राम नरेश सिंह के मो.नं. 9559574382 पर छह अप्रैल को मो.न. 9340525762 से कॉल की गई थी। कॉल करने वाले ने खुद को जामुल थाने से बताते हुए सुनील को वहां बंद होने की सूचना देकर छुड़ाने को कहा था। पिता रविवार को जामुल थाने जाने की सोच ही रहे थे, कि उन्हें मोहल्ले की मस्जिद के पास सुनिल के गिरे होने की सूचना मिल गई। फिलहाल पुलिस इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है।
संदिग्ध मौत, क्योंकि सुनील के दोनों पैरों की उंगलियों पर मिले चोट के निशान, होगी जांच
अचेत होकर गिरने के थोड़ी ही देर बाद सुनील की मौत का असल कारण जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग शव को पोस्टमार्टम करा रहा है। लेकिन उसके दोनों पैरों की उंगलियों पर जो चोट के निशान मिले हैं। वह एंबुलेंस में ऑक्सीजन नहीं मिलना, अस्पताल में टूटी स्ट्रेचर रखा जाना, डॉक्टर के तुरंत नहीं देखने से भी बड़े मामले की ओर इशारा कर रहे हैं। डॉक्टर ने भी इन बिंदुओं का अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है।
एंबुलेंस में ऑक्सीजन नहीं, अस्पताल में टूटी स्ट्रेचर
108 पर कॉल के उपरांत जो एंबुलेंस पहुंची उसमें ऑक्सीजन नहीं थी। जैसे-तैसे अस्पताल पहुंचा तो ऐसी स्ट्रेचर मिली जिस पर घसीट कर मैं अपने भाई को डॉक्टर के पास पहुंचा। डॉक्टर ने कहा 5 मिनट में देखती हूं। पांच मिनट बाद आई तो बोला की उसकी मौत हो गई। एक दिन पहले पिता जी के नंबर पर भाई को छुड़ा लेने की कॉल आई थी।
अजय सिंह, मृतक का भाई।
मौत के बाद जिम्मेदारों ने सफाई में क्या कहा, जानिए…
मेरे पास पेशेंट ब्राड डेड अवस्था में ही आया था। मैंने उसे देखा तो पल्स नहीं चल रही थी। इसलिए डेड घोषित करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। जब पेशेंट को मैंने देखा तब उसकी मौत हो चुकी थी। ज्यादा कुछ नहीं कह सकती।
डॉ. बबिता सक्सेना, शास्त्री अस्पताल सुपेला
जिस पेशेंट को हमारी एंबुलेंस शास्त्री अस्पताल लेकर गई वह मौके पर ही दम तोड़ दिया था। हमारे कर्मचारियों ने इसकी पुष्टि कर ली थी, चूंकि डॉक्टर ही डेथ की घोषणा करते हैं, इसलिए सभी मरीज को अस्पताल लेकर गए। ऐसे में ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। सभी इंतजाम रहते थे।