15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि चुनाव प्रणाली का ढांचा कैसा हो? इस चुनौती का हल निकालने वाले थे भारतीय सिविल सेवा के सुकुमार सेन। उनकी बदौलत ही भारत का पहला आम चुनाव संपन्न हुआ था। सुकुमार सेन भारत के पहले चुनाव आयुक्त थे जिन्होंने 25 अक्टूबर 1951 से लेकर फरवरी 1952 के बीच पहला आम चुनाव संपन्न करवाया था। उन्हीं की बदौलत 67 साल पहले भारत के नागरिक पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर पाए। उनकी इस ख्याति से प्रभावित होकर सूडान ने भी उन्हें अपने यहां चुनाव करवाने के लिए बुलाया था। कहा जाता है कि सुकुमार सेन की ही बदौलत भारत के दूसरे आम चुनाव में साढ़े चार करोड़ की बचत हो सकी।
22 साल में ज्वॉइन की थी सिविल सेवा, 1947 में बने थे प. बंगाल के शासन सचिव
सुकुमार सेन गणित में गोल्ड मेडलिस्ट थे। 1899 में बंगाल में पैदा हुए सुकुमार सेन ने लंदन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए जाने से पहले कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में पढ़ाई की। महज 22 साल की उम्र में वह सिविल सेवा सर्विस में तैनात हो गए। यह 1921 की बात है। तब भारत गुलामी की बेड़ियों से जकड़ा हुआ था। अपनी सेवा के दौरान उन्होंने भारत के कई राज्यों और जिलों में काम किया। अपनी तेज-तर्रारी और गजब की मेधा की वजह से 1947 में सुकुमार सेन को पश्चिम बंगाल का प्रमुख शासन सचिव बनाया गया जो कि ब्रिटिश भारत में आईसीएस अधिकारी की सबसे वरिष्ठ रेंक थी।